Er. Ashok Kumar
1 year ago on 16th Jan
IFMS now a time taking process for Payment
"आई0एफ0एम्0एस0 हेतु डी0सी0एल0 , सी0सी0एल0 एवं देयकों के सम्बन्ध में सुझाव- 
1. लोक निर्माण विभाग के विभागीय बजट में विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत प्राविधानित बजट के सापेक्ष आवंटन को विभिन्न आहरण-वितरण अधिकारियों को आई0एफ0एम्0एस0 के माध्यम से आन लाईन निर्गत किया जाना चाहिए, हार्ड कापी की बाध्यता नहीं होनी चाहिए, इससे काफी समय की बचत होगी एवं विकास कार्यो का त्वरित भुगतान होगा। 

2. उपरोक्त आवंटित बजट की साख-सीमा सी0सी0एल0 कोषाधिकारी द्वारा संबंधित आहरण-वितरण अधिकारी के खाते में क्रेडिट प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष द्वारा जारी साख-सीमा की कोषागार प्रति की हार्डकापी प्राप्त होने पर ही की जाती है, यदि आई0एफ0एम्0एस0 साफ्टवेयर में आॅनलाईन ऐसी व्यवस्थता हो जिससे जारी साख-सीमा की साफ्टकापी एवं सूचना सम्बन्धित कोषाधिकारी को प्राप्त हो जाए। तद्नुसार आटोमोड में कोषाधिकारी द्वारा सम्बन्धित आहरण-वितरण अधिकारी के खाते में उक्त धनराशि क्रेडिट हो जाय। इससे समय की बचत होगी एवं विकास एवं निर्माण कार्यो के भुगतान हेतु त्वरित धनराशि भी उपलब्ध होगी तथा कार्यो की प्रगति भी बढेगी। 

3.अन्य विभागों से चालान के माध्यम से प्राप्त धनराशि आई0एफ0एम्0एस0 पोर्टल केसी0टी0आर0 (कन्सोलेडेटेड ट्रेजरी रिसिप्ट) में चालान संख्या, दिनाॅक एवं धनराशि के रूप में प्रदर्शित होती है, लेकिन अन्य विभागीय कार्यो के भुगतान हेतु अधीक्षण अभियन्ता द्वारा निर्धारित प्रपत्र प्रस्तुत किये जाने पर डी0सी0एल0 जारी की जाती है, तदुपरान्त कोषाधिकारी द्वारा डी0सी0एल0सम्बन्धित आहरण-वितरण अधिकारी के खाते में क्रेडिट की जाती है, जिससे डिपोजिट कार्यो का भुगतान किया जाता है, यदि आई0एफ0एम्0एस0पोर्टल में डी0सी0एल0 जारी करने की आॅनलाईन व्यवस्थता हो जाती है, तो इससे काफी समय की बचत होगी। 

4.विभागीय कार्यों के ठेकेदारों के देयकों का भुगतान आई0एफ0एम्0एस0 के माध्यम से कोषागार के स्थान पर यदि विभागीय आहरण वितरण अधिकारी के स्तर से सीधे ठेकेदारों के खातों में किया जाता है, तो इससे पेपर वर्क कम होगा। ठेकेदारों को उनके किये गये कार्य का भुगतान शीघ्र प्राप्त होगा एवं इससे विभागीय कार्यों में वांछित वित्तीय प्रगति में वृद्धि होगी।”
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Er. Manoj Kumar Bisht 1 year ago
"A liability-based approach to fund allocation can be implemented using a FIFO (first-in, first-out) system, which prioritizes the oldest liabilities to be paid off first. This system can be automated by IFMS system that helps for easy tracking and management of the department's liabilities and available funds. it means 1- no allocation 2- Bill creation without wait for CCL / DCL 3- Enough time to check bill and process 4- Increased Quality”
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